अतरौलिया आजमगढ़ शीत लहर और कड़ाके की ठंड के बीच अतरौलिया क्षेत्र में हाइपोथर्मिया का खतरा बढ़ गया है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क हो गया है। स्थानीय अमर शहीद राजा जय लाल सिंह सौ शैय्या संयुक्त चिकित्सालय में मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं कर ली गई हैं। स्वास्थ्य अधीक्षक डॉ. दिनेश प्रसाद सिन्हा ने बताया कि ठंड के मौसम में सर्दी, खांसी और सांस संबंधी बीमारियों के मरीजों में तेजी से इजाफा हुआ है। विशेष रूप से सीओपीडी के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत और एलर्जी की समस्या अधिक देखने को मिल रही है। वर्तमान में अस्पताल की ओपीडी 600 से 900 के बीच चल रही है, जिसमें लगभग 60 प्रतिशत मरीज मेडिसिन से संबंधित हैं। धूप निकलने पर मरीजों की संख्या और बढ़ जाती है, जबकि अत्यधिक ठंड के कारण लोग घर से कम बाहर निकल रहे हैं। उन्होंने बताया कि शीत लहर से प्रभावित मरीजों के लिए अस्पताल में विशेष शीत लहर वार्ड बनाया गया है, जहां छह बेड आरक्षित किए गए हैं। इस वार्ड में रूम हीटर और ब्लोअर लगाए गए हैं। इसके अलावा अन्य सभी वार्डों में भी हीटर और ब्लोअर की व्यवस्था दुरुस्त की गई है। कुछ नए हीटर और ब्लोअर मंगाए गए हैं, जबकि पुराने उपकरणों को क्रियाशील कर प्रत्येक वार्ड में लगाया गया है। कर्मचारियों की सुविधा के लिए भी हीटर की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य अधीक्षक ने लोगों से अपील की कि ठंड के मौसम में बिना पर्याप्त कपड़ों के खुले में न निकलें। कोयले की अंगीठी, चूल्हा या हीटर का प्रयोग करते समय सावधानी बरतें और कमरे में उचित वेंटिलेशन रखें। उन्होंने कहा कि कपड़े लेयर बाई लेयर पहनें और एक ही मोटे कपड़े पर निर्भर न रहें। मरीजों के परिजनों के लिए अस्पताल परिसर में अलाव की व्यवस्था भी कराई गई है। उन्होंने कहा कि यह सिंचाई का मौसम है, ऐसे में खेतों में काम करने वाले लोग पानी से बाहर निकलने के बाद शरीर को तुरंत गर्म करें और अलाव की व्यवस्था रखें। ठंड के मौसम में शराब या किसी भी प्रकार के नशे से बचें, क्योंकि नशे की हालत में कहीं भी सो जाने से ठंड लगने का खतरा बढ़ जाता है। गर्म भोजन, सूखे मेवे और मौसमी खाद्य पदार्थों का सेवन करें। दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट और दस्ताने अवश्य पहनें। डॉ. सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में आवश्यक दवाएं मेडिकल कॉरपोरेशन से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। नवजात शिशुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लेबर रूम में भी हीटर और ब्लोअर की व्यवस्था की गई है। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि छोटे बच्चों को खुले में न टहलाएं और गर्म कपड़े पहनाकर ही बाहर ले जाएं। उन्होंने बताया कि अत्यधिक ठंड लगने की स्थिति को हाइपोथर्मिया कहा जाता है, जिसमें शरीर का तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट से कम हो जाता है। इसके प्रमुख लक्षणों में अत्यधिक ठिठुरन, सुस्ती, थकान, आवाज में बदलाव, याददाश्त कमजोर होना और कार्यों को भूल जाना शामिल है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
