अतरौलिया आजमगढ़ आदर्श नगर पंचायत अतरौलिया में कथित भ्रष्टाचार, अनियमितताओं और तानाशाही रवैये को लेकर नगर पंचायत के सभासदों ने गुरुवार को मंडलायुक्त आजमगढ़ को ज्ञापन सौंपकर उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की। सभासदों ने अध्यक्ष, अधिशासी अधिकारी (ईओ) एवं बड़े बाबू पर मिलीभगत कर वर्षों से भ्रष्टाचार करने का गंभीर आरोप लगाया है। सभासदों का कहना है कि नगर पंचायत में करोड़ों रुपये की लागत से कराए जा रहे नाला, सड़क और नाली निर्माण कार्यों में मानकों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है। बब्बर चौक से हनुमानगढ़ी एवं पूरब पोखरा की ओर (स्व. डॉ. लतीफ के घर से दीपक सोनी की दुकान तक) कराए जा रहे कार्यों में डमरू ईंट जैसी निम्न गुणवत्ता की सामग्री लगाए जाने का आरोप लगाया गया। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि 15वें एवं 16वें वित्त आयोग से प्राप्त धनराशि का दुरुपयोग कर अनावश्यक मदों में भुगतान निकाला गया। इसके अलावा डीजल, पेट्रोल, सड़क, नाली एवं अन्य स्रोतों से आए सरकारी धन की बंदरबांट किए जाने का आरोप लगाया गया है। सभासदों का कहना है कि अध्यक्ष एवं ईओ के राजनीतिक प्रभाव और दबंगई के कारण पूर्व में की गई शिकायतों पर भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी सभासदों ने आरोप यह भी लगाया कि नगर पंचायत बोर्ड की बैठकों में अध्यक्ष एवं ईओ द्वारा तानाशाही रवैया अपनाया जाता है। जनप्रतिनिधियों को जनसमस्याओं पर चर्चा करने से रोका जाता है। कुछ समय पूर्व विकास कार्यों में धांधली और मनमानी के विरोध में अधिकांश सभासदों ने धरना-प्रदर्शन भी किया था। हालात से क्षुब्ध होकर कई सभासद इस्तीफा देने तक को तैयार बताए जा रहे हैं। इसके साथ ही सामुदायिक धर्मशाला, सम्मो माता भवन आदि की बुकिंग में भी अनियमितता का आरोप लगाया गया। सभासदों का कहना है कि शपथपत्र लगाकर बुकिंग निरस्त की जाती है और धनराशि का आपसी बंदरबांट कर लिया जाता है। मंडलायुक्त को ज्ञापन सौंपने वालों में वार्ड संख्या तीन से सभासद सुमन, वार्ड संख्या आठ से जयमूर्ति देवी, वार्ड संख्या एक से मोना- रिंकू देवी एवं राम आसरे तथा वार्ड संख्या छह से मोहम्मद सुल्तान शामिल रहे। मामले को गंभीरता से लेते हुए मंडलायुक्त ने सीआरओ को प्रकरण की जांच कर आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। सभासदों ने उम्मीद जताई है कि निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जिससे नगर पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके और जनहित के कार्यों में पारदर्शिता आए।
