
माहुल(आजमगढ़)। स्थानीय नगर में होली के एक दिन बाद शनिवार शाम गाजे बाजे और रथ के साथ बुढ़वा की दो बारातें निकाली गई, लेकिन बुढ़वा की आस अंधूरी रह गई। एक बार फिर दुल्हन की आस लगाए बुढ़वा बारात लेकर देर शाम तक घूमता रहा पर दुल्हन उसे नसीब नही हुई। परंपरागत तरीके से विगत वर्षो की तरह से इस वर्ष भी माहुल बाजार के शुक्र बाजार दुर्गा मंदिर से और सोमवारी बाजार के बैजनाथ पोखरे से बुढ़वा की दो बारातें निकाली गई। दोनो बारातें विपरीत दिशा में पूरे नगर में घूमती रही। बारात में रथ के आगे चल रहा खूनी लोगो के आकर्षण का केंद्र बना रहा।रंगीन झालरो से सजे रथ पर बैठा बुढ़वा दुल्हन की तलाश में देर शाम तक घूमता रहा पर दुल्हन उसे एक बार फिर इस वर्ष नही मिली।बारात में भारी संख्या में भीड़ और मिश्रित आबादी क्षेत्र होने के कारण सुरक्षा का व्यापक पुलिस प्रबंध रहा। क्षेत्राधिकारी बूढ़नपुर किरन पाल सिंह, थानाध्यक्ष अहरौला अनिल कुमार सिंह, चौकी प्रभारी माहुल सुधीर सिंह, उपनिरीक्षक रंजन कुमार साव के साथ ही साथ पुलिस और पीएसी बल मौजूद रहा।।
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