
एसआईटी की जांच में 219 मदरसे अस्तित्व में नहीं मिले, कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
यूपी के आजमगढ़ में EOW ने फर्जी मदरसों के खिलाफ अबतक कुल 11 फर्जी मदरसों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, शेष अस्तित्वहीन मदरसों पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई चल रही है, बता दे कि आजमगढ़ जनपद में मदरसा पोर्टल ऑनलाइन फीडिंग में 313 मदरसे मानक के अनुरूप नहीं पाए गए थे, इस पूरे प्रकरण की जांच एसआईटी ने किया तो 219 मदरसे अस्तित्व में नहीं मिले, एसआईटी की ओर से जब इन मदरसा पोर्टल पर मदरसा प्रबंधकों की ओर से दर्ज किए गए डाटा की जांच की गई, तो कहीं मौके पर मदरसे की जगह शटरनुमा दुकानें संचालित होती मिली, तो कहीं धरातल पर मदरसा ही नहीं मिला, वहीं कई जगहों पर मदरसों की जगह पर दूसरे विद्यालय का संचालन होता मिला ।
कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज
ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह की तहरीर पर कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है, इसमें मदरसा की प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है, दी गई तहरीर में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह के मुताबिक एसआईटी की ओर से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर मदरसा अजीजिया खड़गपुर कंधरापुर अस्तित्वहीन मदरसों की श्रेणी में पाया गया है, इस मदरसे को 5 फरवरी 2009 में तहतानिया स्तर की अस्थायी मान्यता दी गयी है, ये मान्यता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार और लिपिक वक्फ ओम प्रकाश पांडेय की ओर से दी गयी, जानकारी के मुताबिक शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के खिलाफ एफआई दर्ज होनी शुरू हो गई है, सभी थानों में एफआईआर की कॉपी पहुंच गई है, किसी थाने को 50 कॉपी तो किसी थाने को 20 कॉपी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है, बता दें कि आजमगढ़ जनपद में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था, 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी, 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले, जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी, इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी की टीम को दे दी थी, 2022 में शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया था, कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे, इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया गया था, लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी,
ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह की तहरीर पर कंधरापुर थाने में पहला मुकदमा दर्ज किया गया है, इसमें मदरसा की प्रबंधक रुमाना बानो पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया है, दी गई तहरीर में ईओडब्ल्यू के निरीक्षक कुंवर ब्रम्ह प्रकाश सिंह के मुताबिक एसआईटी की ओर से उपलब्ध अभिलेखों के आधार पर मदरसा अजीजिया खड़गपुर कंधरापुर अस्तित्वहीन मदरसों की श्रेणी में पाया गया है, इस मदरसे को 5 फरवरी 2009 में तहतानिया स्तर की अस्थायी मान्यता दी गयी है, ये मान्यता तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रभात कुमार और लिपिक वक्फ ओम प्रकाश पांडेय की ओर से दी गयी, जानकारी के मुताबिक शासन के निर्देश पर अब इन मदरसों के खिलाफ एफआई दर्ज होनी शुरू हो गई है, सभी थानों में एफआईआर की कॉपी पहुंच गई है, किसी थाने को 50 कॉपी तो किसी थाने को 20 कॉपी तहरीर मुकदमा दर्ज करने के लिए भेजी गई है, बता दें कि आजमगढ़ जनपद में वर्ष 2009-10 में बिना भौतिक सत्यापन के कई मदरसों को मान्यता और अनुदान देने का मामला सामने आया था, 2017 में इस बात की शिकायत सरकार से की गई थी, 2017 में हुई जांच में 387 मदरसे वैध मिले, जबकि 313 मदरसे में गड़बड़ियां पाई गई थी, इसके बाद इस पूरे मामले की जांच शासन ने एसआईटी की टीम को दे दी थी, 2022 में शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में एसआईटी ने बताया था, कि 219 मदरसे ऐसे हैं जो अस्तित्व विहीन थे, इन मदरसे के संचालकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने का शासन ने निर्देश दिया गया था, लेकिन अब तक इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी,
भारतीय जनता इंटर कालेज को ही बताया गया था मदरसा
मदरसे की ओर से मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 3 कक्ष 300 वर्गफीट माप का दर्शाया गया है, जबकि मौके पर मदरसा नहीं मिला, बल्कि भारतीय जनता इंटर कालेज को ही मदरसा बताया गया, जिसे मदरसा नहीं माना जा सकता, बच्चों से पूछने पर उनके द्वारा भारतीय जनता इंटर का छात्र बताया गया, न कि मदरसे का. मदरसा अस्तित्वहीन है, मदरसे द्वारा मदरसा पोर्टल पर तहतानिया स्तर के 110 छात्र दर्शाए गए हैं, जबकि मौके पर इनकी पुष्टि नहीं हुई है। इसी प्रकार आजमगढ़ एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा इस्लामिया फैजुल उलूम नई बस्ती रौनापार का निरीक्षण किया गया, तो पाया कि 11 जून 2008 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी, पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे, लेकिन जांच में तीन शटरनुमा दुकानें मौके पर मिली, इन पर ही मदरसे का बोर्ड और ब्लैक बोर्ड लगा था. छात्र संख्या 140 बताई गई थी, लेकिन मौके पर एक भी छात्र की पुष्टि नहीं हुई । वहीं एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा मिफ्तादुल उलूम, प्राथमिक रौनापार का निरीक्षण किया, तो पाया कि 24 अप्रैल 1998 को इसे तहतानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी, पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तीन कमरे दर्शाए गए थे लेकिन जांच में दो जर्जर कमरे मौके पर मिले, छात्र संख्या 190 बताई गई लेकिन मौके पर 67 मिले,
मदरसा दर्सगाह अरबिया चांदपट्टी मौके पर नहीं मिला
इसी प्रकार एसआईटी टीम ने जब रौनापार थाना क्षेत्र के मदरसा दर्सगाह अरबिया चांदपट्टी रौनापार का निरीक्षण किया, तो पाया कि 3 जून 2010 को इसे फौकानिया स्तर की अस्थाई मान्यता प्रदान की गई थी, पोर्टल पर प्रबंधक की ओर से तहतानिया स्तर के तीन और फौकानिया स्तर के तीन के अलावा एक प्रधानाचार्य कक्ष और पुस्तकालय कक्ष के निर्माण को दर्ज किया गया, जांच में मौके पर मदरसा ही नहीं मिला, तहतानिया के 60 और फौकानिया के 30 पोर्टल पर दर्शाए गए थे, लेकिन, जांच में इनकी पुष्टि नहीं हो सकी । इतने फर्जी मदरसों पर एक साथ आजमगढ़ जनपद में मुकदमा दर्ज होने जा रहा है, तो इसको लेकर मदरसा चलाने वालों में हड़कंप मचा हुआ है ।