
दो घंटे देरी से पहुंचे अधिकारी,पुलिस ने निर्माण करता के दो सदस्य को थाने लाकर की खाना पूर्ति
तब तक ढल चुकी थी छत?
सगड़ी आजमगढ़। सगड़ी तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत सेठाकोली की नवीन परती भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण ने प्रशासनिक तंत्र की सुस्ती और राजस्व विभाग की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्राम स्थित गाटा संख्या 376 (0.073 हे.) व 377 (0.037 हे.) पर चंद्रभान यादव पुत्र नरेश यादव द्वारा अवैध रूप से पक्के मकान का निर्माण कराया जा रहा था, जिसमें रविवार को लिंटर डालने का काम चल रहा था। ग्रामीण की सूचना पर सुबह 10:13 बजे जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा था मुकदमा दर्ज होने के बादभी सक्त कदम नही नही उठा सकी पुलिस एक दूसरे पर मामले को टरकाते रहे जिम्मेदार ?मौके पर तहसीलदार नहीं पहुंचे। करीब दो घंटे बाद नायब तहसीलदार हरैया संजय कुमार राय घटनास्थल पर पहुँचे — तब तक निर्माण कार्य पूरा हो चुका था और छत ढल चुकी थी। विचारणीय यह है कि इसी भूमि पर पूर्व में 13 अप्रैल 2025 को राजस्व विभाग की तहरीर पर रौनापार थाने में सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम 1984 की धारा 2, 3 व 5 के अंतर्गत चंद्रभान यादव पर मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके बावजूद, उसी स्थान पर दोबारा निर्माण कार्य होना राजस्व विभाग और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गहरे संदेह खड़े करता है। मौके पर मौजूद पुलिस, जो बिना लिखित आदेश के निर्माण नहीं रुकवा सकी, केवल सूचना देने की भूमिका में रही। वहीं राजस्व निरीक्षक उमा प्रसाद ने अपने गैर-जिम्मेदाराना बयान में कहा, “अगर हम निर्माण रुकवा सकते तो थाने पर मुकदमा क्यों दर्ज करवाते?” यह कथन न केवल विभागीय जिम्मेदारी से बचने का प्रयास है, बल्कि गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का भी परिचायक है। इस पूरे प्रकरण में अनेक सवाल एक साथ उठ खड़े होते हैं कि जब पहले से अवैध निर्माण पर मुकदमा दर्ज था तो निर्माण दोबारा कैसे शुरू हुआ? पुलिस द्वारा समय रहते सूचना देने के बावजूद तहसीलदार मौके पर क्यों नहीं पहुंचे? जब तहसीलदार ने स्वयं आने की बात कही थी, तो क्या कारण रहा कि वे नहीं पहुंचे? क्या नायब तहसीलदार को दो घंटे की देरी से भेजना विभाग की रणनीति का हिस्सा था? और सबसे बड़ा सवाल—क्या यह मात्र लापरवाही थी या कहीं न कहीं राजस्व विभाग की अंदरूनी मिलीभगत? क्या यह सिर्फ संयोग था या सुनियोजित सहमति? स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि राजस्व विभाग ने जानबूझकर लेखपाल को “मोहरा” बनाकर भेजा, ताकि बाद में विभाग यह कह सके कि “हमने कार्यवाही की थी।” लेकिन हकीकत यह रही कि जब तक विभागीय अधिकारी पहुंचे, निर्माण पूरा हो चुका था और लेखपाल को भी महिलाओं द्वारा खदेड़ दिया गया। नायब तहसीलदार संजय कुमार राय ने मौके पर पहुंचकर स्वीकार किया, “यह भूमि नवीन परती की है, जिस पर अवैध कब्जा कर निर्माण किया गया है। पहले मुकदमा दर्ज हो चुका है और अब बेदखली की कार्रवाई की जा रही है।” रौनापार थाना प्रभारी मय फोर्स मौके पर पहुंचे और निर्माणकर्ता को फटकार लगाते हुए दो महिलाओं और एक पुरुष को थाने ले गए।