
आजमगढ़ । महाराजा सुहेल देव विश्वविद्यालय के न्यू सेमिनार हाल में डॉ० निधि सिंह, प्रवक्ता हिंदी विभाग के संयोजन में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी पूर्वांचल का साहित्यिक और सांस्कृतिक अवदान (आजमगढ़ के विशेष संदर्भ में) का भव्य आयोजन हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता कुलपति प्रो० संजीव कुमार ने की । कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार एवं मंचस्थ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और द्वीप प्रज्वलन के साथ हुआ।कार्यक्रम अध्यक्ष द्वारा सर्वप्रथम सभी मंचस्थ अतिथियों का स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम देकर सम्मान किया गया।कार्यक्रम अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार का सम्मान निधि शैक्षिक एवं शोध संस्थान आजमगढ़ के संरक्षक प्रो0अखिलेश चन्द्र और सचिव प्रो0 गीता सिंह द्वारा अंगवस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर किया गया।इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार ने कहा कि – हिन्दी आज विश्व स्तर पर तीसरे नंबर की भाषा के रूप में विद्यमान है।इस तरह के संगोष्ठी से हिन्दी परिष्कृत होते हुए जल्द विश्व की दूसरे नंबर की भाषा बन जाएगी। डॉ० मीरा सिंह ने कहा कि पूर्वांचल के लोक गीतों की पहचान विश्व स्तर पर है।आपने विभिन्न भोजपुरी गीतों के माध्यम से अपनी बात रखकर पूर्वांचल के योगदान को सराहा। डॉ० शिव कुमार निगम ने कहा कि पूर्वांचल का साहित्य समृद्ध साहित्य है। यहां का योगदान संपूर्ण हिन्दी साहित्य को अत्यधिक प्रभावित करता है।प्रो० दीपक प्रकाश त्यागी ने कहा कि आजमगढ़ का हिंदी साहित्य में अप्रतिम योगदान है।अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, मलयज, शैदा, राहुल सांकृत्यायन ने अपने- अपने तरह से यहां से हिंदी साहित्य को अपना योगदान दिया। प्रो० प्रभाकर सिंह ने कहा कि भोजपुरी के क्षेत्र में आजमगढ़ से बहुत काम हुआ है। आपने अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध की कविता उठो लाल अब आंखे खोलो का जिक्र करते हुए अपने विचार रखा। प्रो० प्रत्यूष दुबे ने कहा कि आजमगढ़ के समग्र में कैफ़ी आज़मी को भी समझाना होगा। यह संगोष्ठी दो सत्रों में तथा ऑनलाइन और ऑफलाइन रूप में सकुशल सम्पन्न हुई। इस अवसर पर डॉ० निधि सिंह के सम्पादन में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के विषय पूर्वांचल का साहित्यिक और सांस्कृतिक अवदान पर एक पुस्तक जिसमें देश और विदेश से 42 विद्वानों के शोध पत्र 272 पृष्ठों में महाराजा सुहेल देव विश्वविद्यालय आजमगढ़ द्वारा प्रकाशित एवं द पर्पल पेपर नई दिल्ली द्वारा मुद्रित पुस्तक का लोकार्पण कार्यक्रम अध्यक्ष एवं सम्मानित अतिथियों की उपस्थिति में हुआ।पुस्तक पर चर्चा करते हुए संकायाध्यक प्रोफेसर देवेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि डॉ०निधि सिंह ने इस अल्प अवधि में साहित्य के लिए बहुत बड़ा कार्य किया है।आज साहित्य में रमी इस निधि ने यह सिद्ध कर दिया कि यह सचमुच में साहित्य की निधि है । प्रो0गीता सिंह शिक्षक श्री ने कहा कि इस पुस्तक से आजमगढ़ और पूर्वांचल का साहित्य समृद्ध होगा। आपने संगोष्ठी में कैफ़ी आज़मी, अल्लामा शिबली नोमानी, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का जिक्र करते हुए कैफ़ी आज़मी के गीत ‘कर चले हम फिदा जानो तन साथियों अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ से देश भक्ति से आजमगढ़ के साहित्य को जोड़ा। प्रो0अखिलेश चन्द्र शिक्षा संकाय श्री गांधी पी जी कॉलेज मालटारी आजमगढ़ ने कहा कि मेरी जानकारी में मात्र 15 दिनों के अंदर इतनी बड़ी पुस्तक का नई दिल्ली से संपादन और प्रकाशन करके डॉ० निधि सिंह ने आजमगढ़ के साहित्य के लिए एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है । प्रो० हसीन खान ने भी डॉ० निधि सिंह को अपनी तरफ से बधाई दी।डॉ० गिरजेश कुमार ने अपना शुभ आशीर्वाद डॉ० निधि सिंह को दिया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन डॉ0 निधि सिंह ने और द्वितीय सत्र का संचालन सुश्री वैशाली सिंह ने,स्वागत भाषण सुश्री मनीषा सिंह ने और आभार डॉ0 हिमांशु राय ने किया। संगोष्ठी में डॉ० बालचंद्र प्रसाद, शिवांगी सिंह, कंचलनलता, पल्लवी पांडेय, गरिमा पांडेय एवं सुषमा पाण्डे को सर्वेश्रेष्ठ शोध पत्र प्रस्तुति से पुरस्कृत किया गया ।कार्यक्रम में कुलसचिव अंजनी कुमार मिश्र की सराहनीय भूमिका रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्य डॉ० प्रियंका सिंह, सूर्य प्रकाश अग्रहरि, शुभम राय, वैशाली सिंह, हिमांशु शेखर ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई।कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर विभिन्न समितियों का गठन किया गया था जिसने अपनी भूमिका से कार्यक्रम को सफल बनाया। कार्यक्रम में डॉ० नीतू राय, डॉ० प्रवेश सिंह, डॉ०गीता, डॉ०बालचंद प्रसाद, अवनीश राय, डॉ०प्रीति सिंह, जय हिंद सिंह, शिव कुमार प्रियदर्शी, डॉ० जय प्रकाश यादव, डॉ० सुषमा मौर्य की सहभागिता रही। कार्यक्रम में आए हुए सभी अतिथियों, सम्मानित प्राध्यापकों, शोधार्थियों, छात्र और छात्राओं, मीडिया कर्मियों के प्रति डॉ० निधि सिंह ने आभार व्यक्त किया।