
(ए के सिंह एवं जाबिर शेख की रिपोर्ट)
मुस्लिम युवक 52 वर्षो से लेते है
राम लीला में भाग
*गंगा जमुनी तहजीब कि बड़ी मिसाल कायम*
*इस रामलीला में मुस्लिम निभाते हैं लीड किरदार*
*52 सालों से चली आ रही परंपरा*
लखनऊ के बख्शी का तालाब की मशहूर रामलीला दूसरी रामलीलाओं से अलग है क्योंकि इसमें मंच पर मुस्लिम समुदाय के लोग अभिनय करते हैं. ये परंपरा 52 सालों से चली आ रही है. देश में इन दिनों रामलीलाओं का मंचन हो रहा है. दशहरे के दिन से शुरू होने वाली लखनऊ के बख्शी का तालाब की मशहूर रामलीला में सलमान खान, साहिल खान और साबिर खान जैसे मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में अलग-अलग भूमिकाओं में नजर आएंगे. बिना किसी विशेष संसाधन के ये परम्परा 52 साल से गांव के मुस्लिम निभाते आए हैं जिसमें वो रामलीला का मंचन करते हैं. इस बार प्रबंध समिति में बख्शी का तालाब के दशहरे मेले को 4 दिन करने का फ़ैसला किया है. 52 साल से हो रही रामलीला हिंदू- मुस्लिम एकता का प्रतीक है, यह रामलीला दूसरी रामलीलाओं से अलग है क्योंकि इसमें मंच पर मुस्लिम समुदाय के लोग अभिनय करते हैं. ये परम्परा 1972 से लगातार चल रही है. रामलीला की प्रबंध समिति के सदस्य नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान ने कहा ‘ये रामलीला हिंदू-मुस्लिम दो दोस्तों के दोस्ती की निशानी है.’रुदही गांव के प्रधान रहे मैकूलाल यादव और इलाक़े के चिकित्सक डॉ मुज़फ़्फ़र हुसैन ने गांव के लोगों के लिए रामलीला के मंचन की शुरुआत की थी. हिंदुओं को रामलीला देखने का मौक़ा मिले इसके लिए ये जिम्मेदारी गांव के मुस्लिम परिवारों ने ले ली. तब से आज तक ये सिलसिला जारी है. इसमें अभिनय करने वाले कोई पेशेवर कलाकार नहीं बल्कि गांव के मुस्लिम परिवारों के लोग होते हैं. सलमान खान ‘राम’ तो साहिल खान ‘लक्ष्मण’ की भूमिका में दिखेगे*.इस बार भी गांव के सलमान खान राम की भूमिका में नजर आएंगे. सलमान पिछले पंद्रह साल से राम की भूमिका कर रहे हैं. उन्होंने कई साल तक बाल राम का रोल किया है.अपने काम से छुट्टी लेकर सलमान खान कई घंटे तक रिहर्सल में जुटे हैं. वहीं साहिल खान लक्ष्मण का रोल कर रहे हैं. सलमान कहते हैं कि वो राम के उन गुणों से प्रभावित हैं जिसकी वजह से राम आदर्श बेटे हैं, आदर्श भाई हैं.’ राम ने अपने पिता की आज्ञा से राजपाठ छोड़ दिया. सबकुछ भाई को दे दिया. आज लोग अपने भाई के हिस्से का भी छीन लेते हैं. राम के चरित्र से आज बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है.’ वहीं साहिल खान कहते हैं कि उनके हिंदू दोस्त दूसरे गांव से भी उनको लक्ष्मण के रूप में रामलीला में अभिनय करते देखने आते हैं.समय के साथ इस रामलीला में भी बहुत कुछ बदला है पर ‘बख्शी का तालाब की रामलीला’ में न तो टेक्नोलॉजी का कोई प्रयोग है न ही कोई चमक-दमक दिखाई पड़ती है. कई ऐसे कलाकार हैं जिनके लिए रामलीला जीवन का हिस्सा है. साबिर खान बचपन से हर साल रामलीला में रोल करते रहे हैं और इस साल रामलीला का निर्देशन कर रहे हैं. साबिर खा कहते हैं ‘ जब मेरी शादी हुई और पत्नी को पता चला कि मैं रामलीला में रोल करता हूं तो उन्होंने हमसे बात करना छोड़ दिया. फिर मैं अपनी पत्नी और भाई को रामलीला के मंचन के दिन ले गया और दिखाया की किस तरह हिंदू भाई हमारी रामलीला को श्रद्धा से देखते हैं, खुश होते हैं. ये बात देखकर वो खुश हुए. रामलीला प्रबंध समिति के सदस्य नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान कहते हैं र ‘बख्शी का तालाब की रामलीला अपने इसी सांप्रदायिक सद्भाव की वजह से मशहूर है. हालांकि बदलाव को देखते हुए इस बार मेले को चार दिन का किया गया है. इसमें पहले दिन कवि सम्मेलन भी होगा.’ फरहान अली( सीता), मोहम्मद कैफ़( भरत), हमज़ा ख़ान( शत्रुघ्न), अब्दुल( छोटा राम), अरशद ( जटायु) भी रामलीला में अभिनय करेंगे ।
(समाचार संकलन, शिल्पी सेन)