गलत डीएंलसी से बच्चेदानी व आंत में छेद, तीन चिकित्सकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज।
अतरौलिया क्षेत्र के छितौनी मार्केट स्थित एक निजी नर्सिंग होम में कथित चिकित्सकीय लापरवाही का गंभीर मामला सामने आया है। प्रसवोत्तर जांच के दौरान एक महिला पर अनावश्यक डीएंडसी (डाइलेशन एंड क्यूरेटेज) प्रक्रिया किए जाने का आरोप है, जिससे उसकी बच्चेदानी और बड़ी आंत में छेद हो गया। महिला की हालत इस समय गंभीर बताई जा रही है और वह जीवन–मृत्यु से जूझ रही है।
पीड़िता के पति ने आरोप लगाया है कि नर्सिंग होम में कार्यरत तीन चिकित्सकों ने स्वयं को योग्य डॉक्टर बताकर इलाज किया, जबकि उनके पास वैध चिकित्सा डिग्री नहीं है। मामले को लेकर पीड़ित की शिकायत पर कोर्ट के आदेश से अतरौलिया थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है।
शिकायतकर्ता के अनुसार, उनकी पत्नी की 14 जनवरी 2025 को नार्मल डिलीवरी हुई थी। डिलीवरी के बाद सामान्य माहवारी व हल्का पेट दर्द होने पर परिजन उसे अतरौलिया के दिव्यांश नर्सिंग होम ले गए। वहां डॉ. मुकेश यादव (35), डॉ. साधना पांडे (28), जो सरकारी सीएचसी अतरौलिया में कार्यरत बताई जाती हैं, तथा सरिता सिंह (28) द्वारा इलाज किया गया। आरोप है कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट सामान्य होने के बावजूद डॉक्टरों ने गर्भ में प्लेसेंटा का हिस्सा शेष होने की बात कही और कैंसर होने का भय दिखाकर डीएंडसी कराने का दबाव बनाया। 8 फरवरी 2025 को नर्सिंग होम में डीएंडसी की गई। अगले दिन 9 फरवरी को महिला की हालत बिगड़ने के बावजूद उसे यह कहकर घर भेज दिया गया कि सब कुछ सामान्य है। परिजनों के अनुसार, 18 फरवरी को महिला के निजी अंग से मल निकलने लगा। इसके बाद दोबारा नर्सिंग होम में दिखाने पर भी स्थिति को गंभीर नहीं बताया गया। बाद में अकबरपुर स्थित सरोज चेस्ट केयर सेंटर में कराए गए सीटी स्कैन में खुलासा हुआ कि महिला की बच्चेदानी की दीवार और बड़ी आंत (कोलन) में परफोरेशन हो चुका है, जो गलत ढंग से की गई डीएंडसी का परिणाम बताया गया।
पीड़ित का आरोप है कि तीनों आरोपी चिकित्सकों के पास इलाज से संबंधित वैध डिग्री नहीं है और वे लंबे समय से स्वयं को विशेषज्ञ डॉक्टर बताकर नर्सिंग होम का संचालन कर रहे हैं। इस संबंध में पुलिस व उच्च अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कार्रवाई न होने पर 2 जून 2025 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया। कोर्ट के आदेश पर अतरौलिया थाने में डॉ. मुकेश यादव, डॉ. साधना पांडे और सरिता सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दी गई है।
यह मामला न केवल निजी नर्सिंग होमों की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि आम जनता को भी सावधान करता है कि इलाज से पहले चिकित्सक की योग्यता और नर्सिंग होम की वैधता की जांच अवश्य करें।
