
आजमगढ़- वायस आफ आयुर्वेद के तत्वावधान में आयुर्वेदिक यूनानी चिकित्सको के लीगल अधिकार एवं उत्पीड़न से निजात विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया, भगवान धनवंतरि के चित्र पर माल्यार्पण के उपरांत वायस आफ आयुर्वेद के केंद्रीय अध्यक्ष एवं आयुर्वेदि तथा यूनानी तथा तिब्बी चिकित्सा पद्धति बोर्ड उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष डा० शैलेश कुमार राय ने आयुर्वेद/ यूनानी चिकित्सक के लीगल अधिकार एवं उत्पीड़न से निजात पर विस्तृत प्रकाश डालते हुये कहा कि आयुर्वेदिक/यूनानी चिकित्सक को आयुर्वेद के साथ आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी टीचिंग ट्रेनिंग प्रदान की जाती है जिसके अनुसार वर्ष 2015 मे एक्ट में संसोधन किया गया कि टीचिंग ट्रेनिंग की सीमा तक एलोपैथी मेडिसिन का प्रयोग कर सकेगे, लेकिन दवा के प्रयोग के बावत जारी नोटिफिकेसन में मेडिकोलीगल पोस्टमार्टम आई वी ड्रिप क्षार सूत्र के अलावा सर्जरी पर प्रतिबंध लगा दिये गये, साथ ही महत्वपूर्ण कालम में उल्लखित किया गया है है कि इमरजेन्सी मे रोगियों का इलाज करने के बाद ही रिफर करना है, इस प्रकार स्पष्ट है कि एलोपैथिक मेडिसिन के साथ इमरजेन्सी के दौरान आई वी ड्रिप भी दिया जायेगा, तथा भारत सरकार द्वारा वर्ष 2020 आयुर्वेदिक सर्जन को एलोपैथिक सर्जन के समान सभी सर्जरी करने का नोटिफिकेसन जारी हो गया और वर्ष 2024 में कई विषयों पर डी. एम. उपाधि का प्राविधान किया गया है, मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों द्वारा आयुर्वेद/यूनानी चिकित्सक की जांच के नाम पर उत्पीड़न किया जाता रहा, जिसे रोकने के लिये वायस आफ आयुर्वेद द्वारा जनहित याचिका दाखिल कर 1 फरवरी 2024 को शासनादेश जारी कराया गया कि आयुर्वेद/यूनानी चिकित्सक की जांच क्षेत्रीय आयुर्वेद यूनानी अधिकारी (सचिव) की समिति के द्वारा की जायेगी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी जांच नहीं कर सकते, फरवरी 2022 में आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि पब्लिक नोटिस इलेक्ट्रॉनिक प्रिंट शोसल मीडिया वेवसाइट सरकारी डाकूमेंट्स इंक्लूडिंग एफआईआर प्रेस रिलीज में एवं ब्रीफिंग के द्वारा पंजीकृत चिकित्सक को क्वैक अथवा वोगस डाक्टर संवोधित करना कानूनन अपराध है, डा० राय ने आगे बताया वायस आफ आयुर्वेद आजमगढ़ इकाई का भी गठन किया जायेगा जिससे आजमगढ़ के आयुर्वेद/यूनानी चिकित्सकों के समक्ष आने वाली समस्याओं के समाधान के साथ समय समय पर उन्हे अपडेट और अपग्रेड किया जा सके तथा नोटिफिकेसन में लगाये गये विधि विरूद्ध प्रतिबंध को जल्द हटवाने का कार्य हो सके, इस सेमिनार में मुख्य रूप से डा. वी. एस. सिंह, डा. बी एन सिंह, डा. नरेन्द्र. पाण्डेय, डा. पी. एन. मिश्रा, डा. उपेन्द्र दूबे, डा. दिनेश राय, डा. जगदीश यादव, डा. नोमान, डा. साकिर जमाल सहित जनपद के सैकड़ों आयुर्वेद/यूनानी चिकित्सक उपस्थित रहे।