
दिल्ली । जब मैं छोटी थी, तो मेरे पिता अक्सर शराब के नशे में मेरे साथ यौन शोषण करते थे, वह मुझे दीवार पर पटक देते थे, मैं रातों को बिस्तर के नीचे छिप जाती थी, यह बातें महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हाल ही में बीबीसी के एक प्लेटफार्म पर अपनी बचपन की दर्दनाक यादों को साझा करने समय कहा था, स्वाति मालीवाल ने बताया कि कैसे उन्होंने इस कठिनाई का सामना किया, और आज वह महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई में अग्रणी हैं, उन्होंने यह भी बताया कि इस दर्दनाक अनुभव ने उन्हें मजबूत बनाया और उन्होंने ठान लिया, कि जब वह बड़ी होंगी, तो ऐसे लोगों के खिलाफ लड़ेंगी, स्वाति मालीवाल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “जब मैंने पहली बार इस बारे में बात की, तो मुझे बहुत हिम्मत जुटानी पड़ी, यह एक सार्वजनिक मंच पर बोलना बहुत कठिन था, लेकिन मैंने महसूस किया कि यह समय है, उन्होंने बताया कि उनके इस कदम ने कई महिलाओं को प्रेरित किया, जिन्होंने उनसे संपर्क किया, और अपनी कहानियाँ को साझा की, कहा कि समाज में जब एक महिला अपनी आवाज उठाती है, तो उसे अक्सर आलोचना का सामना करना पड़ता है, ‘जब मैंने अपने पिता के खिलाफ आवाज उठाई, तो मुझे ट्रोल्स का सामना करना पड़ा, लेकिन मैं जानती थी, कि यह जरूरी था,’ उन्होंने कहा कि समाज को इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है, कि जब कोई लड़की अपनी कहानी साझा करती है, तो उसे दोषी ठहराया जाता है, उन्होंने ने अपनी माँ की सराहना की, जिन्होंने इस कठिन समय में उन्हें समर्थन दिया, ‘मेरी माँ ने मेरे पिता से तलाक लिया, और अपने जीवन को फिर से शुरू किया, स्वाति मालीवाल की कहानी न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कैसे एक महिला अपने दर्द को शक्ति में बदल सकती है और समाज में बदलाव ला सकती है, स्वाति मालीवाल ने कहा, “महिलाओं को अपनी आवाज उठानी चाहिए, जब तक हम अपने सच को स्वीकार नहीं करेंगे, तब तक हम कभी भी ठीक नहीं हो सकते, उनका यह संदेश उन सभी महिलाओं के लिए है, जो यौन हिंसा का सामना कर रही हैं, और अपने अनुभवों को साझा करने में हिचकिचा रही हैं ।