
कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री डॉ. दया शंकर मिश्रा दयालु ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकार आयुर्वेद के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है
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आजमगढ़ । एनएएमसीएच के एलुमनी मीट कार्यक्रम संसर्जनम 2025 का आयोजन कॉलेज के पुरातन छात्रों द्वारा रविवार को वाराणसी के अंधरापुल स्थित होटल रिजेंसी के सभागार में किया गया। देर रात तक चले इस कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री डॉ. दया शंकर मिश्रा दयालु ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर किया। तत्पश्चात आयुष मंत्री का स्वागत डॉ. बसंत सिंह और डॉ. पी.के. नागर ने बुके देकर किया। अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डॉ. दया शंकर मिश्रा दयालु ने कहा कि वर्तमान समय में आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ी है और वह दिन दूर नहीं है, जब योग दिवस की तरह आयुर्वेद दिवस भी पूरे विश्व में एक साथ मनाया जाएगा। पिछले कोविड काल में आयुर्वेद ने पूरी दुनिया के सामने अपना लोहा मनवाया है। अतः अब आज के जो भी आयुर्वेदिक स्नातक और परा स्नातक चिकित्सक हैं, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि अपने चिकित्सा कार्य के माध्यम से इसे समाज के अंतिम पायदान तक पहुँचाकर सर्वसुलभ बनाया जाए। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकार आयुर्वेद के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। आयोजन समिति द्वारा मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस एलुमनी मीट कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, महाराष्ट्र आदि राज्यों से आए हुए पुरातन छात्र-छात्राओं ने वर्षों बाद एक-दूसरे से मिलने की खुशी साझा की और कहा कि इस तरह का कार्यक्रम हर वर्ष होना चाहिए। सभी ने खूब मस्ती की, एक साथ तसवीरें खिंचवाई, एक-दूसरे के पुराने कमेंट को याद किया। गाज़ियाबाद से आए डॉ. अनुज त्यागी ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसे सभी ने खूब सराहा। शाम को म्यूजिकल कार्यक्रम में गायक और गायिका द्वारा गाये हुए गीतों पर मंच के सामने सभी जमकर थिरके। कार्यक्रम में ‘तेरे जैसा यार कहाँ’ गाने पर सभी एक-दूसरे से गले मिलकर खूब मस्ती किए। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. डी.डी. सिंह ने कहा कि इस कार्यक्रम को काशी में करने के पीछे मुख्य कारण यह है कि काशी का आयुर्वेद से पुराना नाता रहा है। काशी विश्व की सबसे प्राचीन नगरी है। अतः जब पुरातन छात्र सम्मेलन की बात हुई तो निर्णय लिया गया कि पुरातन छात्र सम्मेलन पुरातन नगरी में ही होना चाहिए। पूरे देश से 100 से अधिक चिकित्सकों का जमावड़ा इस कार्यक्रम की सफलता की कहानी बयान कर रहा है। इस कार्यक्रम को करने को सोच डॉ. मुकुंद पाठक की देन है। उन्होंने इसकी रूपरेखा तैयार की। डॉ. सिद्धार्थ मित्तल, डॉ. विनोद गुप्ता, डॉ. डी.डी. सिंह, डॉ. प्रभात द्विवेदी और डॉ. अनुज त्यागी ने उनका पूरा सहयोग किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में सबसे सीनियर डॉ. पी.के. नागर, डॉ. संपूर्णानंद द्विवेदी, डॉ. बसंत सिंह, डॉ. रजनीश आलोंकर ने अग्रणी भूमिका निभाई। कार्यक्रम की थीम ‘संसर्जनम’ का नाम दिया डॉ. रुद्रमणि दीपक ने और कार्यक्रम का लोगो डिज़ाइन किया डॉ. अमित कुमार ने। कार्यक्रम में आयोजन समिति द्वारा वरिष्ठ चिकित्सकों का सम्मान अंगवस्त्रम और माल्यार्पण कर किया गया तो आयोजन समिति के प्रत्येक सदस्य का सम्मान वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. पी.के. नागर द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन की जिम्मेदारी डॉ. डी.डी. सिंह और डॉ. प्रभात द्विवेदी ने संयुक्त रूप से निभाई। अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ. मुकुंद पाठक ने देश के कोने-कोने से आए हुए समस्त चिकित्सकों का, सभी सहगोगियों का, होटल के कर्मचारियों का, समस्त मीडियाकर्मियों का आभार जताया।