
उत्तर प्रदेश में अपनी खो चुकी जमीन तलाशने में जुटी कांग्रेस नये नये प्रयोग कर रही है 5 दिसंबर 2024 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने उत्तर प्रदेश के कांग्रेस कमेटियों को भंग कर दिया था। अब विधानसभा चुनाव 2027 को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पीडीए फार्मूले पर चलते हुए 65% पिछडे दलितों एवं अल्पसंख्यकों को जिला एवं शहर अध्यक्ष नियुक्त कर एक बड़ा दाव चला है।
आजमगढ़ जिले की कौशल कुमार सिंह उर्फ मुन्ना राय को जिलाध्यक्ष एवं रियाजुल हसन को शहर अध्यक्ष की मिली जिम्मेदारी
उतर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में कौशल कुमार सिंह उर्फ मुन्ना राय को आजमगढ़ कांग्रेस का जिलाध्यक्ष तथा रियाजुल हसन को शहर कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। कौशल कुमार सिंह उर्फ मुन्ना राय आजमगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे स्व० लालसा राय के पुत्र हैं तथा उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के करीबी माने जाते हैं। वहीं रियाजुल हसन छात्र नेता रहे हैं और शहर कांग्रेस के सचिव एवं महासचिव पद पर काम कर चुके हैं।
नवनियुक्त अध्यक्षों को मिला कांटों का ताज
नवनियुक्त अध्यक्षों को यदि कहा जाय तो काटों का ताज मिला है। उनके सामने सपा के गढ़ में बूथ स्तर पर संगठन को धरातल पर खड़ा करने की एक बड़ी चुनौती है। यदि सूत्रों की माने तो कांग्रेस के अंदर अंतर्कलह एवं गुटबाजी से उबर पाना भी इन नवनियुक्त अध्यक्षों के लिये आसान नहीं हैं।
आजमगढ़ कांग्रेस के तमाम वरिष्ठ नेता 2024 में पार्टी में अंतर्कलह और उचित सम्मान ना मिलने का आरोप लगा कर छोड़ चुके हैं कांग्रेस
पूर्वांचल के दिग्गज नेता आजमगढ़ के पूर्व सांसद डा० संतोष कुमार सिंह सहित कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष हवलदार सिंह, कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रह चुकी वरिष्ठ नेता डा० मालती मिश्रा, पूर्व प्रवक्ता ओंकार पाण्डेय, कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश मिश्र, पूर्व उपाध्यक्ष निसार अहमद, कांग्रेस के पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व महासचिव हरिकेश मिश्र, पूर्व महासचिव इंदल सिंह, पूर्व ब्लाक अध्यक्ष अनुराग विश्वकर्मा, पूर्व ब्लाक अध्यक्ष सेराज अहमद सहित तमाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों सहित कांग्रेस को छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, वही प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग की पूर्व प्रदेश महासचिव साबिहा अंसारी भी अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस को अलविदा बोल कर बसपा में शामिल हो चुकी हैं। यदि सूत्रों की माने तो आजमगढ़ में कई और कांग्रेस के असंतुष्ट नेता कांग्रेस को किसी भी समय अलविदा बोल सकते हैं। नवनियुक्त अध्यक्षों के सामने कांग्रेस से दूर हो रहे नेताओं को रोक कर रखना भी किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं।
कांग्रेस से दूर हो चुके मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ना एक बड़ी चुनौती
विधानसभा चुनाव 2022 मे कांग्रेस ने कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव अनिल यादव एवं पूर्व जिलाध्यक्ष प्रवीण कुमार सिंह सहित सभी दस विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी मैदान में उतारे थे उत्तर प्रदेश की तत्कालीन प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी प्रत्याशियों के समर्थन में चुनावी जनसभा की थी परंतु कोई भी प्रत्याशी 2500 मतों से ऊपर का आंकड़ा पार नहीं कर पाया। यहां तक की नवनियुक्त जिलाध्यक्ष कौशल कुमार सिंह मुन्ना राय की गृह विधानसभा मुबारकपुर में कांग्रेस को नोटा से भी कम वोट मिला था। विगत नगरपालिका का चुनाव लड़े कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव रविकांत त्रिपाठी भी 500 वोटों का आकड़ा भी पार नहीं कर पाये यहाँ तक कि कांग्रेस का एक भी सभासद चुनाव जीत नहीं पाया। ऐसे में देखना होगा नवनियुक्त दोनो अध्यक्ष मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने में कितना सफल हो पाते हैं यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा।